कबीरधाम विशेषछत्तीसगढ़ स्पेशल

कवर्धा : पूर्व सीएम रमन सिंह के गृह जिले कवर्धा मे बड़े किसान आंदोलन की आहट

कबीरधाम(कवर्धा)। छत्तीसगढ़ का कवर्धा कबीरधाम जिला कहने को तो पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह का गृह जिला होने के साथ ही भूपेश सरकार के सीनियर कैबिनेट मिनिस्टर मोहम्मद अकबर का निर्वाचन क्षेत्र है। लेकिन फिर भी यहां अपने खेतों मे पानी पहुंचाने के लिए 26 गांव के किसानों को आंदोलन के रास्ते जाना पड़ रहा है। दरअसल किसान सरकार पर दबाव बनाकर 3 साल पहले मंजूर की गई “सुतियापट नहर विस्तार योजना” पर रुके काम को शुरू करवाना चाहते हैं।
3 साल से अटका काम
दरअसल जिले के सहसपुर लोहारा ब्लॉक मे स्थित सुतियापाट बांध से नहर का विस्तार किया जाना था। सरकार से अनुमति मिलने के 3 साल बाद भी काम पूरा नहीं किया जा सका है। आलम यह है कि अब सरकार की उदासीनता से आक्रोशित किसानों ने आंदोलन करने की तैयारी कर ली है। ग्रामीणों के मुताबिक पूर्व की रमन सरकार ने किसानों की मांग को मानते हुए नहर निर्माण के लिए राशि की स्वीकृति भी दे दी थी, लेकिन छत्तीसगढ़ मे भूपेश सरकार के सत्ता मे आने के बाद से कार्य मे कोई प्रगति नही हुई।
राज्यपाल तक पहुंची किसानों की मांग
राज्य सरकार ने सुतियापाट बांध से निकलने वाली नहर के विस्तार स्वीकृति 3 साल पहले ही दे दी थी, लेकिन किसानों का दुर्भाग्य ही है कि अब तक इसपर काम शुरू नहीं हो सका है। मांग पूरी ना होने पर इलाके के किसानों ने भारतीय किसान संघ के बैनर तले एक बड़े आन्दोलन की तैयारी शुरू कर दी है। आंदोलन से पहले नहर ना बनने से प्रभावित क्षेत्र के 26 गांव के किसानों ने राज्यपाल के नाम लोहारा तहसीलदार को ज्ञापन भी सौंपा है।
किसान परिवार करेंगे अनिश्चितकालीन आंदोलन
सुतियापाट नहर विस्तार को लेकर किसानों ने धरना प्रदर्शन, चक्काजाम समेत पहले भी कई आंदोलन किये हैं। इसी बीच कोरोना संक्रमण बढ़ने से धारा 144 लगाए जाने के बाद आंदोलन स्थगित कर दिए गए। बंदिशें हटते ही किसान नवा रायपुर के किसान आंदोलन की तरह ही पूरे परिवार के साथ अनिश्चितकालीन आंदोलन करेंगे।
किसानों ने खुद ही बना ली थी नहर
सुतियापाट बांध से निकली नहर का पानी नहर विस्तार रुकने से कई गांव तक नही पहुंच पा रहा है, जिसमे लोहारा समेत, तेलीपारा, छोटूपारा, बानो, पिपरटोला, भिनपुरी और तेलाईभाठ जैसे गांव शामिल हैं। इन स्थिति से परेशान होकर सुतियापाट बांध की छोटी नहर से होकर किसानों ने खेतों और तालाबों तक पानी पहुंचाने के लिए 4 किलोमीटर लंबी एक कच्ची नहर खुद ही तैयार कर ली है, ताकि उनके खेतों की फसल ना मर जाये।

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